प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) ने भारत में किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। प्राकृतिक आपदाओं से फसल के नुकसान को देखते हुए, यह योजना किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
2024 में, इस योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिला, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर में सुधार हुआ। योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी, और इसे अब 2026 तक बढ़ा दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार किसानों के हितों को प्राथमिकता देती है।
इस योजना का उद्देश्य न केवल फसल बीमा के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करना है, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाना भी है। यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए सहायक रही है, जो जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल नुकसान झेलते हैं।
यह लेख 2024 में योजना के प्रदर्शन, इसके बजट, तकनीकी प्रगति, और किसानों पर इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेगा। साथ ही, यह भी समझाएगा कि योजना को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है।
PM Fasal Bima Yojana का विस्तार और बजट
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की सफलता को देखते हुए, केंद्र सरकार ने इसे 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन दिया।
Today, the Union Cabinet has agreed to extend the PM Fasal Bima Yojana till 2026. The total budget is Rs. 69,515,071 lakhs. The risk coverage will be from the sowing of the crop to the storage… Last year, more than 8 crore applications from farmers were received and more than 4 crore farmers benefitted. The farmers received Rs.1,70,000 crores as claim…
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योजना के लिए ₹69,515.71 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जो 2021-26 की अवधि के दौरान उपयोग होगा। यह राशि फसल बीमा के दावों के निपटान और किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए आवंटित की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को बीज बोने से लेकर फसल के भंडारण तक का बीमा सुरक्षा प्रदान किया जाता है।
2024 में, इस योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें से 4 करोड़ से अधिक किसानों को लाभान्वित किया गया। यह आंकड़ा इस योजना की प्रभावशीलता और किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस योजना के विस्तार की पुष्टि ट्वीट के माध्यम से की गई:
“Over 4 cr farmers benefitted in 2024…”: Union Minister @ChouhanShivraj after Cabinet extends PM Fasal Bima Yojana till 2026https://t.co/tedLzla3Oo
via NaMo App pic.twitter.com/yjv6nMjBFV
— PMO India (@PMOIndia) January 2, 2025
“यह योजना किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने और कृषि में स्थिरता लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”
टेक्नोलॉजी का योगदान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में तकनीक ने किसानों के लिए पारदर्शिता और लाभ सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। योजना के तहत “YES-TECH” और “WINDS” जैसे तकनीकी समाधानों का उपयोग किया जा रहा है, जो फसल उत्पादन के अनुमान और दावों के निपटान को अधिक कुशल बनाते हैं।
Yield Estimation System using Technology (YES-TECH) uses Remote Sensing Technology for yield estimation with minimum 30% weightage to Technology based yield estimates. 9 Major States are currently implementing (namely AP, Assam, Haryana, Uttar Pradesh, MP, Maharashtra, Odisha, Tamil Nadu & Karnataka). Other States are also being on-boarded expeditiously. With wider implementation of YES-TECH, Crop Cutting Experiments and related issues will be gradually phased out. Under YES-TECH Claim calculation and settlement has been done for 2023-24. Madhya Pradesh has adopted 100% technology based yield estimation.
Source: pib.gov.in
YES-TECH (Yield Estimation System using Technology) के माध्यम से रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर फसल उत्पादन का अनुमान लगाया जाता है। इस प्रणाली में 30% तकनीकी आधारित अनुमानों को महत्व दिया गया है, जिससे पारंपरिक फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiments) को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश ने 2023-24 के लिए 100% तकनीकी आधारित अनुमान प्रणाली को अपनाया है, जिससे फसल दावों के निपटान में तेज़ी और पारदर्शिता आई है। इसके अतिरिक्त, अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को तेजी से लागू किया जा रहा है, जिससे किसानों को बेहतर सेवा प्रदान की जा सके।
सरकार ने “Fund for Innovation and Technology (FIAT)” के तहत ₹824.77 करोड़ का फंड भी मंजूर किया है, जिसका उद्देश्य योजनाओं में बड़े पैमाने पर तकनीकी निवेश और शोध को बढ़ावा देना है।
2024 में योजना का प्रदर्शन
- 2024 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा। इस वर्ष, योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक किसानों ने आवेदन किया, जिनमें से 4 करोड़ से अधिक को सीधा लाभ मिला। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को बचाने और उनकी आजीविका को स्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई थी।
- किसानों को ₹1,70,000 करोड़ का दावा दिया गया, जिसने उनकी आर्थिक कठिनाइयों को कम किया। यह दावा बीज बोने से लेकर फसल की कटाई और भंडारण तक के नुकसान की भरपाई के लिए किया गया।
- योजना का प्रभाव उन राज्यों में अधिक देखा गया जहाँ प्राकृतिक आपदाओं का खतरा अधिक है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्य योजना के बड़े लाभार्थी रहे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को किसानों के लिए “आर्थिक ढाल” के रूप में वर्णित किया है, जो उन्हें अनिश्चितताओं से बचाने में मदद करता है।
किसानों पर योजना का प्रभाव
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने भारतीय किसानों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। यह योजना उन किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, जो हर साल बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल नुकसान का सामना करते हैं।
सरकार ने इस योजना के माध्यम से किसानों को मानसिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। फसल नुकसान की भरपाई के लिए दावा मिलने से न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित हुई है, बल्कि वे बेहतर बीज और कृषि तकनीक अपनाने में सक्षम हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “किसानों की चिंता दूर करने वाला कदम” बताया और कहा कि यह निर्णय नए साल के लिए एक नई शुरुआत है।
PM said, “The first decision of the new year is dedicated to the crores of farmer brothers and sisters of our country. We have approved increasing the allocation for crop insurance. While this will provide more security to the crops of the farmers, the worry of loss will also be reduced.”
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इसके अलावा, सरकार ने योजना के तहत खाद और बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद के लिए ₹3850 करोड़ आवंटित किए गए, जिससे किसानों को सही समय पर आवश्यक संसाधन मिल सके।
आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
हालांकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) ने लाखों किसानों को लाभ पहुंचाया है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ और आलोचनाएँ भी सामने आई हैं। योजना स्वैच्छिक होने के कारण, कई किसान इसका लाभ नहीं उठा पाए। विशेष रूप से, पूर्वोत्तर राज्यों में योजना की पहुंच कम रही है, जहाँ खेती का क्षेत्रफल सीमित है।
सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के लिए प्राथमिकता दी है। लेकिन, वहां के कम फसल क्षेत्र और कम जागरूकता के कारण योजना का प्रभाव सीमित रहा। इसके अलावा, फंड का पुनः आवंटन अन्य विकास परियोजनाओं में करने की आवश्यकता पड़ी।
कई किसानों ने दावा निपटान प्रक्रिया में देरी और पारदर्शिता की कमी की शिकायत की है। हालांकि YES-TECH और अन्य तकनीकी समाधानों ने इन समस्याओं को काफी हद तक हल किया है, फिर भी यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर किसान तक समय पर लाभ पहुंचे।
However, due to the scheme being voluntary and low gross cropped area in the northeastern states, flexibility has been given to avoid surrender of funds and for reallocation in other development projects and schemes with fund requirements. (ANI)
Source: aninews.in
इन आलोचनाओं के बावजूद, सरकार योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नए कदम उठा रही है, जिनमें तकनीकी उन्नति और जागरूकता अभियान शामिल हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। यह योजना न केवल फसल नुकसान की भरपाई करती है, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने में भी मदद करती है। 2026 तक इस योजना के विस्तार के साथ, सरकार किसानों को अधिक सुरक्षा और सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। नए तकनीकी समाधानों, जैसे YES-TECH और WINDS, के साथ पारदर्शिता और दावा निपटान प्रक्रिया में सुधार हो रहा है।
भविष्य में, सरकार का उद्देश्य योजना की पहुंच को बढ़ाना और अधिक किसानों को इसका लाभ देना है। विशेष रूप से, पूर्वोत्तर राज्यों और छोटे किसानों पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि वे भी इस योजना का पूरा लाभ उठा सकें।
पाठकों से अनुरोध है कि वे इस योजना के बारे में जागरूकता फैलाने में योगदान दें। आपकी राय और सुझाव इस योजना को और बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।