भारत में मंदिरों और गुरुद्वारों के पुजारी और ग्रंथी धर्म और समाज के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं। हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने “Pujari Granthi Samman Yojana” की घोषणा की, जिसका उद्देश्य इन धार्मिक सेवकों को वित्तीय सहायता देना है।
इस योजना के तहत हर पुजारी और ग्रंथी को ₹18,000 मासिक मानदेय मिलेगा। हालाँकि, यह योजना शुरू होते ही विवादों में घिर गई है।
मुख्य बिंदु:
- ✅ पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ₹18,000 मासिक सहायता
- ✅ दिल्ली सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजना
- ✅ 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा
- ✅ राजनीतिक विवाद और विपक्ष के आरोप
Pujari Granthi Samman Yojana की मुख्य विशेषताएँ
NDTV के अनुसार, Pujari Granthi Samman Yojana का उद्देश्य दिल्ली में मंदिरों और गुरुद्वारों के धार्मिक सेवकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
👉 मुख्य विशेषताएँ:
- ✔️ ₹18,000 मासिक वेतन
- ✔️ मंदिरों और गुरुद्वारों के पुजारियों और ग्रंथियों को लाभ
- ✔️ AAP सरकार द्वारा लागू किया गया
- ✔️ ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया
- ✔️ योजना को अभी तक दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली
AAP सरकार के अनुसार, यह योजना धार्मिक सेवकों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई है।
राजनीतिक विवाद और आलोचनाएँ
The Hindu के अनुसार, इस योजना को लेकर AAP सरकार और विपक्षी दलों (BJP, Congress) के बीच तकरार चल रही है।
👉 बीजेपी का आरोप
- 🔹 यह योजना केवल चुनावी स्टंट है और इसे 2025 के चुनावों से पहले लागू किया गया
- 🔹 अगर AAP सरकार वाकई में पुजारियों की चिंता करती थी, तो पिछले 10 वर्षों में ऐसी कोई योजना क्यों नहीं आई?
- 🔹 इमामों के लिए वेतन देने के बाद ही यह योजना क्यों लाई गई?
👉 कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
- 🔸 AAP हर दिन नई योजनाएँ घोषित कर रही है, लेकिन पुरानी योजनाएँ अधूरी पड़ी हैं
- 🔸 “केजरीवाल सरकार चुनावी प्रचार के लिए लोगों को गुमराह कर रही है”
सत्ता पक्ष की सफाई: AAP ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि योजना पूरी तरह से धार्मिक सेवकों के सम्मान और आर्थिक सुरक्षा के लिए बनाई गई है।
ट्विटर पर क्या चल रहा है?
📌 सोशल मीडिया पर “पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना” को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं।
अरविंद केजरीवाल ने इस योजना को “पुजारियों और ग्रंथियों के सम्मान की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम” बताया और कहा कि “जो बीजेपी 20 राज्यों में शासन कर रही है, उन्होंने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं किया?”
➡️ अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया:
बीजेपी वाले मुझे कल से गंदी गंदी गालियाँ दे रहे हैं, जब से पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा हुई है।
मेरा उनसे प्रश्न है – क्या मुझे गाली देने से देश का फ़ायदा होगा? आपकी 20 राज्यों में सरकारें हैं। गुजरात में तो आपकी 30 साल से सरकार है। अभी तक आपने वहाँ पुजारियों और…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 31, 2024
आज कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से मैं अपनी पत्नी के साथ पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का शुभारंभ करूँगा।
आतिशी जी करोल बाग स्थित गुरुद्वारे से इस योजना का शुभारंभ करेंगी।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 31, 2024
योजना की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
Moneycontrol के अनुसार, इस योजना को अभी तक दिल्ली सरकार की मंजूरी नहीं मिली है।
👉 मुख्य चुनौतियाँ:
- ✔️ अभी तक दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली
- ✔️ BJP और कांग्रेस द्वारा विरोध जारी
- ✔️ योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं
- ✔️ कुछ पुजारियों का कहना है कि सरकार वादे तो कर रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ भी ठोस नहीं हो रहा
7. क्या यह योजना सफल होगी?
- 👉 अगर योजना सही से लागू होती है, तो इससे दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
- 👉 हालाँकि, अगर यह केवल चुनावी वादा बनकर रह गया, तो यह जनता के विश्वास को कमजोर करेगा।
- 👉 भविष्य में दूसरे राज्यों में भी इस तरह की योजनाओं की मांग उठ सकती है।
🔸 विशेषज्ञों का मानना है कि अगर योजना सही से लागू होती है, तो यह धार्मिक सेवकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है।
धार्मिक सेवकों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सरकार किसानों की मदद के लिए ‘पीएम किसान की 19वीं किस्त’ भी जारी कर चुकी है।
निष्कर्ष
“पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना” दिल्ली सरकार द्वारा घोषित एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य मंदिरों और गुरुद्वारों में कार्यरत पुजारियों और ग्रंथियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना धार्मिक सेवकों के सम्मान और उनकी स्थिरता को मजबूत करने का एक प्रयास है, जिससे उनकी आजीविका सुरक्षित हो सके।
हालाँकि, इस योजना के लागू होने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
- विपक्षी दलों का कहना है कि यह केवल चुनावी रणनीति है, क्योंकि यह घोषणा दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले की गई।
- दूसरी ओर, AAP सरकार का दावा है कि यह पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान और वित्तीय सुरक्षा देने का एक सकारात्मक प्रयास है।
- योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार इसे कितनी पारदर्शिता और ईमानदारी से लागू करती है।
क्या यह योजना सफल होगी?
- ✅ अगर योजना वास्तविक रूप से लागू होती है और इसके तहत राशि समय पर वितरित की जाती है, तो यह पुजारियों और ग्रंथियों के जीवन में सुधार ला सकती है।
- ✅ इससे दूसरे राज्यों में भी धार्मिक सेवकों के लिए इसी तरह की योजनाओं की मांग बढ़ सकती है।
- ❌ लेकिन अगर यह केवल चुनावी घोषणा बनकर रह गई, तो यह जनता के बीच AAP सरकार की छवि को नुकसान पहुँचा सकती है।