January 18, 2025

“Black Ink Banned on Cheques” – फर्जी दावा या सच्चाई? PIB का जवाब पढ़ें

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेक पर काली स्याही के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इस खबर में यह भी कहा गया कि 1 जनवरी 2025 से केवल नीली और हरी स्याही से लिखे गए चेक ही मान्य होंगे। इस तरह के दावे ने जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी और कई लोगों ने इस खबर को सच मानकर सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू कर दिया।

हालांकि, इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है। PIB (प्रेस सूचना ब्यूरो) ने इस खबर को पूरी तरह से फर्जी करार दिया है और स्पष्ट किया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेक पर स्याही के रंग को लेकर कोई नया निर्देश जारी नहीं किया है। इसके अलावा, RBI ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी कहा है कि चेक लिखने के लिए किसी विशेष रंग की स्याही का उपयोग अनिवार्य नहीं है।

इस लेख में हम वायरल हो रही इस खबर की सच्चाई, PIB और RBI के स्पष्टीकरण और चेक पर स्याही के सही उपयोग के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, आपको बताएंगे कि ऐसी फर्जी खबरों से कैसे बचा जाए और सटीक जानकारी कैसे प्राप्त करें।

Black Ink Banned on Cheques वायरल खबर का सच

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर ने तेजी से ध्यान खींचा, जिसमें दावा किया गया कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेक पर काली स्याही के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। इस खबर में यह भी कहा गया कि 1 जनवरी 2025 से सभी प्रकार के चेक केवल नीली या हरी स्याही से लिखे जाने चाहिए, अन्यथा वे अमान्य कर दिए जाएंगे। इस दावे के साथ एक “Times of India” का कथित स्क्रीनशॉट भी साझा किया गया, जिसने इस फर्जी खबर को और भी विश्वसनीय बना दिया।

Times of India Black Ink Banned on Cheques
Times of India Black Ink Banned on Cheques

इस फर्जी खबर ने जनता के बीच भ्रम और चिंता को जन्म दिया। कई लोगों ने इसे सच मानकर इसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर साझा किया। खबर के अनुसार, यह कदम चेक धोखाधड़ी को रोकने के लिए उठाया गया था, क्योंकि काली स्याही को छेड़छाड़ के लिए अधिक संवेदनशील माना जाता है।

हालांकि, PIB Fact Check ने इस दावे को पूरी तरह से फर्जी बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह खबर झूठी है और भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है। PIB ने अपने ट्वीट में कहा,

“सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि @RBI ने चेक पर काली स्याही के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के नए नियम जारी किए हैं। यह दावा #फर्जी है। रिज़र्व बैंक ने चेक लिखने के लिए किसी विशेष स्याही के रंग को अनिवार्य नहीं किया है।”

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि यह खबर सिर्फ अफवाह है और इसका उद्देश्य केवल भ्रम पैदा करना है।

PIB और RBI की आधिकारिक Clarification

फर्जी खबर को लेकर फैले भ्रम के बाद, PIB Fact Check और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस पर तुरंत स्पष्टीकरण दिया। PIB ने अपने आधिकारिक ट्वीट के माध्यम से जनता को बताया कि काली स्याही के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। RBI ने भी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर FAQs के माध्यम से कहा कि “ग्राहकों को इमेज फ्रेंडली स्याही का उपयोग करना चाहिए, ताकि चेक स्कैनिंग के दौरान बेहतर छवि प्राप्त हो।”

RBI के FAQ का मुख्य अंश

“ग्राहकों को चेक पर लिखते समय इमेज-फ्रेंडली रंगीन स्याही का उपयोग करना चाहिए, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक ने किसी विशेष स्याही के रंग का निर्देश नहीं दिया है।”

(स्रोत: RBI FAQ)

PIB और RBI दोनों ने यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) में इमेज-फ्रेंडली स्याही का उपयोग केवल स्कैनिंग की सुविधा के लिए है, न कि इसे बाध्यकारी नियम के रूप में लागू किया गया है।

वायरल खबर की सच्चाई के बारे में स्पष्टीकरण ने जनता के बीच फैली अफवाहों को कम किया और बताया कि फर्जी खबरों को फैलाने से पहले सही तथ्यों की जांच कितनी जरूरी है।

इस सेक्शन में PIB का दूसरा ट्वीट और RBI FAQ का स्क्रीनशॉट शामिल किया जा सकता है, ताकि पाठकों को पूरी जानकारी के साथ समझाया जा सके।

चेक पर सही Ink का उपयोग क्यों जरूरी है?

चेक पर लिखी गई जानकारी की सटीकता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सही स्याही का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने किसी विशेष स्याही के रंग का उपयोग अनिवार्य नहीं किया है, लेकिन “इमेज-फ्रेंडली” स्याही, जैसे कि नीली और हरी स्याही, को प्राथमिकता दी जाती है। यह स्याही चेक स्कैनिंग और प्रसंस्करण के दौरान बेहतर इमेज गुणवत्ता प्रदान करती है।

काली स्याही को लेकर चिंता क्यों?

काली स्याही का उपयोग आमतौर पर दस्तावेजों में किया जाता है, लेकिन यह छेड़छाड़ (tampering) के लिए अधिक संवेदनशील होती है। आधुनिक रसायनों की मदद से काली स्याही को आसानी से हटाया जा सकता है और जानकारी को बदला जा सकता है। यह धोखाधड़ी का मुख्य कारण बन सकता है।

इसके विपरीत, नीली और हरी स्याही का रासायनिक संरचना के कारण हटाना अधिक कठिन होता है। साथ ही, ये स्याही अल्ट्रावायलेट लाइट के तहत अधिक स्पष्ट दिखाई देती हैं, जो चेक के सत्यापन में सहायक होती है।

डिजिटल चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS)

आजकल चेक को डिजिटल इमेजिंग प्रक्रिया के माध्यम से क्लीयर किया जाता है, जिसे चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) कहा जाता है। इसमें चेक के तीन इमेज बनाए जाते हैं—फ्रंट ग्रे स्केल, फ्रंट ब्लैक एंड व्हाइट, और बैक ब्लैक एंड व्हाइट। सही स्याही का उपयोग चेक की इमेज को स्पष्ट और सटीक बनाने में मदद करता है, जिससे चेक धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।

Fake News का प्रभाव और उनसे बचाव

सोशल मीडिया के इस युग में, फर्जी खबरें तेजी से फैलती हैं और जनता को गुमराह करती हैं। “RBI ने काली स्याही बैन कर दी है” जैसे झूठे दावे न केवल भ्रम फैलाते हैं, बल्कि बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों के प्रति अविश्वास भी पैदा कर सकते हैं।

फर्जी खबरों का प्रभाव

  1. जनता के बीच भ्रम: इस प्रकार की खबरें बिना पुष्टि के व्यापक रूप से साझा की जाती हैं, जिससे लोग बिना तथ्य जांचे घबरा जाते हैं।
  2. संस्थान पर असर: RBI और बैंकिंग सेक्टर को इस तरह की अफवाहों को दूर करने में अतिरिक्त समय और संसाधन लगाने पड़ते हैं।
  3. ग्राहकों की परेशानी: कई ग्राहक चेक लिखते समय काली स्याही के उपयोग से बचने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे अनावश्यक असुविधा होती है।

फर्जी खबरों से बचने के तरीके

  1. आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें: RBI की आधिकारिक वेबसाइट, PIB Fact Check, और अन्य सरकारी स्रोतों से खबर की पुष्टि करें।
  2. सोशल मीडिया पर सावधान रहें: किसी भी वायरल पोस्ट को साझा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचें।
  3. फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करें: ऐसी खबरों की सच्चाई जांचने के लिए PIB और अन्य फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।

PIB ने अपने ट्वीट के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि “सोशल मीडिया पर फैली खबर फर्जी है।” यह ट्वीट बताता है कि जनता को किसी भी खबर पर भरोसा करने से पहले उसकी पुष्टि करनी चाहिए।

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Digital Payments और Banking का भविष्य

आज के समय में, जहां डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहे हैं, चेक जैसी पारंपरिक बैंकिंग प्रक्रियाओं की भूमिका सीमित होती जा रही है। हालांकि, चेक अभी भी कई क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेष रूप से बड़ी राशि के भुगतान, व्यापारिक लेनदेन, और सरकारी भुगतान के लिए। इस प्रकार, उनकी सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।

डिजिटल भुगतान के फायदे

  1. तेजी और सुविधा: डिजिटल लेनदेन तुरंत हो जाते हैं, जबकि चेक क्लीयर होने में समय लग सकता है।
  2. भरोसेमंद सुरक्षा: डिजिटल भुगतान में एन्क्रिप्शन और मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसी सुविधाएं होती हैं, जो इसे धोखाधड़ी से सुरक्षित बनाती हैं।
  3. पर्यावरण अनुकूल: डिजिटल भुगतान कागज के उपयोग को कम करता है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।

चेक की प्रासंगिकता और RBI का योगदान

चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) और चेक की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए स्याही के सही उपयोग जैसे कदम, RBI के प्रयासों को दर्शाते हैं कि चेक की पारंपरिक भूमिका को डिजिटल युग में भी बनाए रखा जाए। चेक धोखाधड़ी को रोकने के लिए, RBI समय-समय पर सुरक्षा मानकों में सुधार करता रहता है।

भविष्य की संभावना

RBI द्वारा डिजिटल बैंकिंग और चेक दोनों को सुरक्षित और उपयोगी बनाए रखने के लिए और भी कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे:

  • चेक में एंटी-फ्रॉड फीचर्स जैसे हॉलोग्राम और यूनिक कोड शामिल करना।
  • डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए अधिक जागरूकता अभियान।

डिजिटल युग में भी चेक की प्रासंगिकता बनी हुई है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए लागू किए गए कदम ग्राहकों के विश्वास को बनाए रखने में मदद करते हैं।अगर आप सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की जानकारी चाहते हैं, तो यहां पढ़ें

निष्कर्ष

फर्जी खबरों का तेजी से फैलना आज के समय की एक बड़ी चुनौती है। “RBI ने काली स्याही बैन की” जैसी अफवाहें न केवल जनता को भ्रमित करती हैं, बल्कि बैंकिंग प्रक्रियाओं के प्रति अनावश्यक चिंता भी उत्पन्न करती हैं।

  • सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दावा कि RBI ने चेक पर काली स्याही बैन कर दी है, पूरी तरह से फर्जी है।
  • PIB और RBI दोनों ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चेक पर किसी विशेष स्याही का उपयोग अनिवार्य नहीं है।
  • चेक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नीली और हरी स्याही को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन यह कोई बाध्यकारी नियम नहीं है।

क्या आपको कभी बैंकिंग प्रक्रियाओं में ऐसी फर्जी खबरों का सामना करना पड़ा है? क्या आप डिजिटल भुगतान को चेक से ज्यादा सुरक्षित मानते हैं? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में साझा करें। इसके अलावा, इस आर्टिकल को शेयर करके अपने दोस्तों और परिवार को जागरूक करें ताकि वे ऐसी अफवाहों से बच सकें।

Akhil Talwar

Akhil Talwar is a dedicated writer at Sevakendra, specializing in delivering accurate and well-researched news on government jobs, education updates, and official announcements. With 3 years of experience, he has developed a reputation for being a thorough and passionate researcher who leaves no stone unturned in verifying facts. Known for his curiosity and commitment to uncovering reliable information, Akhil ensures that every article he writes is backed by credible sources and caters to the needs of readers seeking trustworthy updates. Whether it’s a detailed analysis of a new government scheme or step-by-step guides for job applications, Akhil’s content simplifies complex topics while maintaining depth and precision. At Sevakendra, Akhil strives to bridge the information gap for readers by crafting content in Hindi and Hinglish, making critical updates accessible to a broader audience. His hard work and dedication reflect the values of Sevakendra – bringing meaningful news to the people with authenticity and trust.

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