भारत सरकार ने Atmanirbhar Bharat Rojgar Yojana (ABRY) की शुरुआत 1 अक्टूबर 2020 को की थी, जिसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए श्रमिकों और कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था। इस योजना के तहत, सरकार कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए भविष्य निधि (EPF) योगदान का एक हिस्सा वहन करती है, ताकि औपचारिक रोजगार को बढ़ावा दिया जा सके और बेरोजगारी को कम किया जा सके।
योजना विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई थी, ताकि वे नए कर्मचारियों की भर्ती कर सकें और उन्हें नियमित वेतन देने में सक्षम हों। श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत चलाई जा रही इस योजना के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार मिला है।
हालांकि, हाल ही में इस योजना के तहत एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जहां फर्जी कंपनियों ने सरकारी लाभ का गैरकानूनी तरीके से दुरुपयोग किया है। यह घोटाला पुणे क्षेत्रीय भविष्य निधि (EPFO) कार्यालय से जुड़ा है, जहां 89 फर्जी कंपनियों ने 18 करोड़ रुपये का फायदा उठाया है। इस घोटाले ने सरकार की नीतियों और मॉनिटरिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना में घोटाला
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
पुणे के क्षेत्रीय भविष्य निधि कार्यालय (EPFO) ने जब संदेहजनक लेन-देन की जांच शुरू की, तो इस घोटाले का पता चला। जांच के दौरान अधिकारियों को महसूस हुआ कि कुछ कंपनियां सरकारी सहायता के लिए पात्र नहीं होते हुए भी Atmanirbhar Bharat Rojgar Yojana का लाभ उठा रही थीं। गहराई से छानबीन करने पर यह सामने आया कि 89 कंपनियां केवल कागजों पर मौजूद थीं और वास्तविक रूप से उनका कोई अस्तित्व नहीं था।
EPFO अधिकारियों ने पाया कि इन फर्जी कंपनियों ने COVID-19 महामारी के दौरान सैकड़ों कर्मचारियों की भर्ती दिखाकर EPF योगदान पर सरकारी सहायता प्राप्त की। लेकिन जब उनके कर्मचारी रिकॉर्ड की जांच की गई, तो पाया गया कि इन नामों से जुड़े कोई भी कर्मचारी वास्तव में कार्यरत नहीं थे।
The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले में 89 फर्जी कंपनियों ने लगभग 18 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ लिया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि EPFO की आंतरिक जांच के दौरान संदेहास्पद लेन-देन उजागर हुए, जिसके बाद मामले की गहराई से छानबीन की गई।
इसी प्रकार का एक मामला श्रम मंत्रालय की फर्जी भर्ती विज्ञापन से संबंधित सामने आया है, जहां फर्जी विज्ञापनों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को ठगा गया।
किन तरीकों से घोटाला किया गया?
इस घोटाले में शामिल लोगों ने निम्नलिखित तरीकों से सरकारी योजना का दुरुपयोग किया:
- फर्जी कंपनियों का पंजीकरण: कंपनियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्टर किया गया।
- फर्जी कर्मचारियों की सूची तैयार की: कई लोगों के नाम और बैंक खाते बनाए गए, लेकिन कोई वास्तविक रोजगार नहीं था।
- EPFO में फर्जी आवेदन: योजना के तहत सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक लाभ का दावा करने के लिए झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए गए।
- सरकारी तंत्र में लूपहोल्स का फायदा उठाया: निगरानी की कमी और डिजिटल वेरिफिकेशन की अनुपस्थिति के कारण यह घोटाला इतने बड़े स्तर पर हो सका।
अब तक की जांच और कार्रवाई
जैसे ही यह घोटाला सामने आया, EPFO और श्रम मंत्रालय ने इस पर तुरंत संज्ञान लिया। जांच एजेंसियों ने इन कंपनियों से जुड़े बैंक खातों और दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया। पुणे पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस घोटाले में शामिल प्रमुख व्यक्तियों की पहचान करने में जुटी हुई हैं।
सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए निगरानी और डेटा वेरिफिकेशन सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में कौन-कौन दोषी साबित होते हैं और क्या कानूनी कार्रवाई उनके खिलाफ की जाएगी।
आगे के सेक्शन में हम जानेंगे कि सरकार ने इस घोटाले के खिलाफ क्या कदम उठाए और आम जनता ऐसी धोखाधड़ी से कैसे बच सकती है।
सरकारी प्रतिक्रिया और कार्रवाई
इस घोटाले के सामने आने के बाद, श्रम मंत्रालय और भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने इस मामले पर तत्काल जांच शुरू की। सरकार ने EPFO के क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया कि वे इस योजना के तहत किए गए सभी संदिग्ध भुगतान की समीक्षा करें और इस तरह के मामलों की पहचान करें।
जांच एजेंसियों की भूमिका
सरकार ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय जांच एजेंसियों को इस मामले की छानबीन करने का निर्देश दिया है। पुणे पुलिस के साथ मिलकर ये एजेंसियां अब उन व्यक्तियों और कंपनियों की पहचान कर रही हैं जो इस घोटाले में शामिल थे।
संभावित कानूनी कार्रवाई
- जिन कंपनियों ने गलत तरीके से सरकारी धन प्राप्त किया है, उन्हें पूरी राशि वापस लौटानी होगी।
- दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी धन के दुरुपयोग के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- इस मामले में कई निजी बैंक भी संदेह के घेरे में हैं, क्योंकि फर्जी कंपनियों ने बैंकों के माध्यम से पैसे ट्रांसफर किए। अब बैंकों के लेन-देन की भी जांच हो रही है।
सरकार की भविष्य की योजना
इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार अब डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। अब कंपनियों के पंजीकरण और कर्मचारियों के विवरण की आधार और पैन कार्ड से ऑटोमैटिक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अनिवार्य की जा सकती है।
सरकार का यह भी मानना है कि योजना की निगरानी में और सुधार की जरूरत है, ताकि सही लाभार्थियों तक यह सहायता पहुंच सके और फर्जी कंपनियों द्वारा इसका दुरुपयोग न हो।
आम जनता के लिए सावधानियां
आम नागरिकों के लिए यह समझना जरूरी है कि वे सरकारी योजनाओं से जुड़े किसी भी फर्जीवाड़े में फंसने से कैसे बच सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति Atmanirbhar Bharat Rojgar Yojana या अन्य सरकारी लाभों से संबंधित संदिग्ध प्रस्ताव देता है, तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए।
हाल ही में NBCFDM की फर्जी भर्ती Websites का मामला सामने आया है, जिसमें नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को ठगा गया।
फर्जी नियुक्ति पत्र से बचाव
- यदि कोई कंपनी सरकारी योजना के तहत नौकरी का प्रस्ताव देती है, तो सबसे पहले उसकी आधिकारिक वेबसाइट या EPFO की लिस्ट में जांच करें।
- कोई भी कंपनी यदि रजिस्ट्रेशन शुल्क या जॉइनिंग फीस मांगती है, तो यह एक बड़ा संकेत हो सकता है कि वह फर्जी है।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी केवल आधिकारिक पोर्टल पर ही दी जाती है, सोशल मीडिया या व्हाट्सएप मैसेज पर भरोसा न करें।
सरकारी योजनाओं की सत्यता जांचने के तरीके
- किसी भी योजना के बारे में जानकारी लेने के लिए सरकारी Websites जैसे कि PIB और Labour पर जाएं।
- किसी भी योजना में आवेदन करने से पहले उसकी पात्रता शर्तों और आवेदन प्रक्रिया को अच्छे से समझ लें।
यदि धोखाधड़ी का संदेह हो तो क्या करें?
- EPFO की हेल्पलाइन या श्रम मंत्रालय के टोल-फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करें।
- यदि कोई व्यक्ति या कंपनी नौकरी या सरकारी सहायता के नाम पर पैसा मांगती है, तो पुलिस में इसकी रिपोर्ट करें।
- सोशल मीडिया पर ऐसी किसी भी अफवाह को न फैलाएं, जब तक कि वह किसी विश्वसनीय सरकारी स्रोत से प्रमाणित न हो।
इस घोटाले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए नागरिकों को भी सतर्क रहना जरूरी है। सही जानकारी और सतर्कता से हम न केवल खुद को ठगी से बचा सकते हैं, बल्कि ऐसे घोटालों को रोकने में सरकार की भी मदद कर सकते हैं।
निष्कर्ष
Atmanirbhar Bharat Rojgar Yojana का उद्देश्य बेरोजगारों को सहायता देना था, लेकिन हाल ही में सामने आए फर्जी कंपनियों के घोटाले ने इस योजना की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 89 कंपनियों द्वारा 18 करोड़ रुपये का दुरुपयोग दिखाता है कि सरकारी लाभ योजनाओं में सख्त नियमों की जरूरत है।
सरकार ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और भविष्य में डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही, नागरिकों को भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध सरकारी लाभ या नौकरी प्रस्ताव की जांच करने की आदत डालनी चाहिए।
यदि कोई संदेहास्पद गतिविधि दिखे, तो EPFO या श्रम मंत्रालय को सूचित करना जरूरी है। सही निगरानी और जनता की जागरूकता से ही ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सकता है।