April 1, 2025

Indian Flag in Pakistan’s Stadium? वायरल तस्वीर का सच जानें, मत बनें भ्रम का शिकार!

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान के लाहौर स्टेडियम में अफगान प्रशंसकों ने भारतीय झंडा लहराया। इस तस्वीर के साथ कहा गया कि यह घटना आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान हुई, जब अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हराया था।

यह खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर हलचल मच गई। कुछ लोगों ने इसे भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों की मजबूती का प्रतीक बताया, तो कुछ ने इस पर सवाल उठाए कि क्या पाकिस्तान में वाकई ऐसा हो सकता है?

हालांकि, जब इस तस्वीर की गहराई से जांच की गई, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। न्यूज़ एजेंसियों और फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट्स ने पाया कि यह दावा गलत था और तस्वीर की वास्तविकता कुछ और ही थी। इस आर्टिकल में हम इस वायरल तस्वीर का पूरा सच जानेंगे और यह समझेंगे कि ऐसी अफवाहें कैसे फैलती हैं।

वायरल दावा और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

यह तस्वीर सबसे पहले फेसबुक और एक्स (पहले ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुई। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे साझा करते हुए लिखा कि अफगानिस्तान के समर्थकों ने पाकिस्तान के मैदान में भारत का झंडा लहराया

कुछ पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जहां अफगानिस्तान और भारत के बीच दोस्ती का प्रदर्शन किया गया। वहीं, कुछ पाकिस्तानी यूजर्स ने इसे झूठा प्रचार बताया और इस पर संदेह जताया।

इस तस्वीर पर हजारों लाइक्स और कमेंट्स आए, जिनमें से कुछ लोग इस दावे का समर्थन कर रहे थे, जबकि कई लोग इसे संदिग्ध मान रहे थे। कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान जैसे देश में, जहां भारतीय झंडे के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध है, वहां ऐसा संभव है?

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर विभाजित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां भारतीय और अफगान समर्थक इसे एकता की निशानी मान रहे थे, वहीं पाकिस्तानी प्रशंसकों ने इसे फर्जी खबर बताया और कहा कि यह तस्वीर असली नहीं हो सकती।

Fact Check: सच्चाई का खुलासा

जब इस तस्वीर की जांच की गई, तो इसके कई असंगत तथ्य सामने आए।

न्यूज़मोबाइल और अन्य फैक्ट-चेकिंग एजेंसियों ने इस तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की, जिससे पता चला कि यह तस्वीर पहली बार जून 2024 में देखी गई थी। तब इसे अफगानिस्तान बनाम बांग्लादेश के बीच आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2024 के दौरान लिया गया बताया गया था।

इसके अलावा, जब मूल स्रोतों की तलाश की गई, तो पता चला कि यह तस्वीर पहले 2023 वर्ल्ड कप के दौरान भी सामने आई थी। पत्रकार जाफर हांड ने 7 नवंबर 2023 को एक ट्वीट किया था, जिसमें यही तस्वीर साझा की गई थी। उस ट्वीट में लिखा था कि यह मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की तस्वीर है, जब अफगानिस्तान और ऑस्ट्रेलिया का मैच हुआ था।

इस दावे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए फैक्ट-चेकिंग रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि वायरल तस्वीर के स्टेडियम की सीटिंग व्यवस्था पाकिस्तान के लाहौर स्टेडियम से मेल नहीं खाती। जब इसकी तुलना वानखेड़े स्टेडियम की तस्वीरों और वहां बनाए गए यूट्यूब ब्लॉग्स से की गई, तो पुष्टि हुई कि यह तस्वीर वास्तव में मुंबई की थी, पाकिस्तान की नहीं

इसलिए, यह स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया पर किया गया दावा पूरी तरह गलत था और यह तस्वीर गलत संदर्भ में प्रस्तुत की गई

वायरल दावे के खिलाफ सबूत

जब इस तस्वीर की बारीकी से जांच की गई, तो इसके कई ऐसे पहलू सामने आए जो यह साबित करते हैं कि यह पाकिस्तान के किसी स्टेडियम की तस्वीर नहीं थी।

सबसे पहले रिवर्स इमेज सर्च से यह स्पष्ट हुआ कि यह तस्वीर पहले से इंटरनेट पर मौजूद थी। न्यूज़मोबाइल की फैक्ट-चेकिंग रिपोर्ट के अनुसार, यह तस्वीर 2023 के वनडे वर्ल्ड कप के दौरान मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ली गई थी, जब अफगानिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच खेला गया था।

इसके अलावा, एक ट्विटर यूजर ने इसी तस्वीर को 2023 में पोस्ट किया था, जिसमें 2023 वर्ल्ड कप का वॉटरमार्क भी था। यह इस बात का सबूत था कि यह तस्वीर नई नहीं थी और इसे हालिया घटना से जोड़कर गलत तरीके से पेश किया गया

एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह था कि लाहौर स्टेडियम और वानखेड़े स्टेडियम की सीटिंग व्यवस्था अलग-अलग है। वायरल तस्वीर में दिख रही सीटिंग व्यवस्था वानखेड़े स्टेडियम से मेल खाती थी। इसके समर्थन में एक यूट्यूबर द्वारा पोस्ट किए गए व्लॉग की तस्वीरों का उपयोग किया गया, जिससे इस दावे की सच्चाई और मजबूत हो गई।

फैक्ट-चेकर्स ने यह भी पाया कि वायरल तस्वीर से जुड़े किसी आधिकारिक स्रोत ने इस तस्वीर को लाहौर स्टेडियम का नहीं बतायाआईसीसी या किसी क्रिकेट बोर्ड ने भी इस तस्वीर की पुष्टि नहीं की, जिससे यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर किया गया दावा पूरी तरह से फर्जी था

फर्जी खबरों और गलत जानकारी की भूमिका

क्रिकेट जैसे खेलों में भावनाएं अक्सर चरम पर होती हैं, और यही कारण है कि फर्जी खबरें बहुत तेजी से फैलती हैं। सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं – राजनीतिक उद्देश्य, देशों के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश, या सिर्फ वायरल होने की लालसा

यह पहली बार नहीं है जब खेल से जुड़ी गलत खबरें फैलाई गई हैं। पहले भी कई मौकों पर ऐसे दावे किए गए हैं, जिनमें बाद में फैक्ट-चेकिंग के जरिए सच्चाई सामने आई। उदाहरण के लिए, 2019 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान भी कुछ फर्जी तस्वीरें सामने आई थीं, जिनमें स्टेडियम में भारत-विरोधी या पाकिस्तान-विरोधी नारे लगाए जाने की झूठी खबरें फैलाई गई थीं।

फेक न्यूज़ से होने वाले नुकसान

  • यह लोगों के बीच गलतफहमियां और नफरत पैदा कर सकता है।
  • इससे दो देशों के क्रिकेट प्रशंसकों में अनावश्यक विवाद हो सकता है।
  • इससे असली खबरों की साख पर असर पड़ता है, क्योंकि लोग सही-गलत में फर्क नहीं कर पाते।

इसलिए, सोशल मीडिया पर किसी भी खबर को आंख मूंदकर साझा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचना जरूरी है। फेक न्यूज़ के जाल से बचने के लिए जरूरी है कि लोग विश्वसनीय स्रोतों से खबरें लें और फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म का सहारा लें

न्यूज़मोबाइल जैसी फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट्स इस तरह की अफवाहों को रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन इसके बावजूद, यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह बिना जांचे-परखे किसी भी खबर को न फैलाए

सोशल मीडिया की ज़िम्मेदारी

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया सूचनाओं के आदान-प्रदान का सबसे तेज़ माध्यम बन चुका है, लेकिन इसके साथ ही फर्जी खबरों का खतरा भी बढ़ गया है। कोई भी खबर बिना पुष्टि के इतनी तेजी से वायरल हो जाती है कि लोग उसे सच मानकर आगे बढ़ाने लगते हैं।

इस केस में भी यही हुआ – अफगानिस्तान और इंग्लैंड के बीच पाकिस्तान के लाहौर में हुए मैच के नाम पर एक पुरानी तस्वीर वायरल कर दी गई, जिससे यह गलतफहमी फैली कि पाकिस्तान के स्टेडियम में भारतीय झंडा लहराया गया। लेकिन जब इस दावे की गहराई से जांच हुई, तो सच्चाई कुछ और ही निकली।

सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी कैसे निभाएं?

  1. तथ्य जांचें: कोई भी खबर या तस्वीर देखने के बाद Google Reverse Image Search या फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट्स से उसकी सच्चाई जांचें।
  2. सिर्फ विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करें: आधिकारिक न्यूज वेबसाइट्स, क्रिकेट बोर्ड या मीडिया हाउस की खबरों को ही प्राथमिकता दें।
  3. भ्रम फैलाने वाले पोस्ट को रिपोर्ट करें: अगर किसी पोस्ट से गलत जानकारी फैलाई जा रही हो, तो उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें
  4. भावनाओं में बहकर खबरें न फैलाएं: खेल और राजनीति से जुड़ी खबरें अक्सर संवेदनशील होती हैं, इसलिए बिना जांचे-परखे कोई भी चीज़ साझा न करें।

निष्कर्ष

यह मामला यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर हर वायरल खबर सच नहीं होती। क्रिकेट और राजनीति से जुड़े ऐसे कई फर्जी दावे पहले भी सामने आ चुके हैं, जिनका मकसद लोगों को गुमराह करना होता है। इसलिए किसी भी खबर को आंख मूंदकर सच मानने से पहले उसकी सच्चाई जांचना जरूरी है।

अगर आप भी किसी वायरल खबर की सत्यता को परखना चाहते हैं, तो फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करें और जिम्मेदारी से सोशल मीडिया का उपयोग करें।

Akhil Talwar

Akhil Talwar is a dedicated writer at Sevakendra, specializing in delivering accurate and well-researched news on government jobs, education updates, and official announcements. With 3 years of experience, he has developed a reputation for being a thorough and passionate researcher who leaves no stone unturned in verifying facts. Akhil also tracks viral and trending stories across the internet, focusing on unusual updates, share-worthy news, and people-centric content that resonates with a wide audience. Whether it’s a detailed analysis of a new scheme or a quirky story making waves online, Akhil’s content simplifies complex topics while maintaining depth and precision. He writes in Hindi and Hinglish, making important information accessible to all. His hard work and dedication reflect the values of Sevakendra – bringing meaningful news to the people with authenticity and trust.

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