आजकल डिजिटल फ्रॉड और स्कैम्स के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। TRAI Mobile Tower Scam हाल ही में चर्चा में आया है, जिसमें ठग लोगों को मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठग रहे हैं। यह स्कैम उन लोगों को निशाना बनाता है जो अपने घर या जमीन पर मोबाइल टावर लगवाने में रुचि रखते हैं।
हाल ही में PIB Fact Check ने एक ट्वीट जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि TRAI किसी भी तरह का मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई नोटिस या डिपॉजिट मांगने वाला पत्र जारी नहीं करता।
PIB की इस चेतावनी से यह साफ हो जाता है कि यह पूरी तरह से फर्जी स्कीम है, जिसका उद्देश्य लोगों से ₹5000 या उससे अधिक की राशि ठगना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह स्कैम कैसे काम करता है, PIB और TRAI का क्या कहना है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
Mobile Tower Installation Scam कैसे होता है?
इस स्कैम का संचालन काफी योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। स्कैमर्स नकली कंपनियों के नाम से लोगों को कॉल, SMS, या ईमेल भेजते हैं और मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के बदले मोटी रकम देने का वादा करते हैं। लेकिन इसकी शर्त होती है कि पहले कुछ रुपए बतौर डिपॉजिट जमा करने होंगे।
स्कैम के प्रमुख स्टेप्स:
लुभावने ऑफर:
- स्कैमर्स बताते हैं कि आपके घर की छत या प्लॉट पर मोबाइल टावर लगाने पर आपको हर महीने ₹30,000 से ₹50,000 तक किराया मिलेगा।
- कई मामलों में 10 से 15 लाख तक एकमुश्त राशि देने की बात भी की जाती है।
फर्जी Documents:
- स्कैमर्स TRAI, DoT (Department of Telecommunications), और बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के नकली दस्तावेज बनाते हैं।
- इनमें नकली अनुमति पत्र, करारनामा और “ऑफिशियल” लगने वाले लेटरहेड होते हैं।
डिपॉजिट मांगना:
- लोगों से कहा जाता है कि TRAI या टेलीकॉम कंपनियां इंस्टॉलेशन से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट (₹5000 से ₹50,000 तक) मांगी जाती है।
- एक बार भुगतान करने के बाद, स्कैमर्स गायब हो जाते हैं और फोन नंबर बंद कर देते हैं।
फर्जी Website और विज्ञापन:
- स्कैमर्स नकली Website बनाकर खुद को Airtel, Jio, Vodafone Idea जैसी कंपनियों से जुड़ा दिखाते हैं।
- सोशल मीडिया और Google Ads पर भी ऐसे झूठे विज्ञापन दिखाए जाते हैं।
PIB और TRAI का आधिकारिक बयान
जैसे ही यह स्कैम तेजी से फैलने लगा, भारत सरकार के PIB Fact Check ने 10 मार्च 2025 को एक ट्वीट जारी कर इस स्कैम को फर्जी करार दिया।
PIB ने अपने ट्वीट में स्पष्ट कहा
- TRAI ऐसे कोई पत्र या ऑफर जारी नहीं करता।
- मोबाइल टावर लगाने के लिए किसी को ₹5000 या अन्य कोई राशि नहीं देनी होती।
- अगर आपको कोई ऐसा कॉल, SMS, या ईमेल मिलता है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें।
PIB का ट्वीट:
Have you also received a notice issued in the name of @TRAI seeking ₹5,000 as a deposit for installing mobile towers ⁉️#PIBFactCheck
✔️This notice is #Fake
❌TRAI never issues any such letters
For more info, read: https://t.co/RToS6engvT pic.twitter.com/wkAJKdYudd
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) February 28, 2025
TRAI का आधिकारिक स्टैंड
TRAI ने इस मामले में यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर (Jio, Airtel, Vodafone-Idea) की ओर से टावर लगाने की प्रक्रिया में कोई सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लिया जाता।
TRAI और PIB की चेतावनी को कैसे मानें?
- किसी भी ऑफिशियल जानकारी के लिए TRAI की वेबसाइट पर जाएं
- PIB Fact Check की आधिकारिक X (Twitter) प्रोफाइल पर जांचें
- अगर कोई आपको टावर लगाने के नाम पर पैसे मांगता है तो उसे तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल में रिपोर्ट करें।
लोग इस स्कैम का शिकार क्यों बनते हैं?
भारत में डिजिटल जागरूकता बढ़ने के बावजूद, कई लोग अब भी साइबर अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं। TRAI Mobile Tower Scam इसका एक उदाहरण है, जहां लोग आसान कमाई के लालच में अपनी मेहनत की कमाई गवा बैठते हैं।
1. मोटी रकम का लालच
इस स्कैम में ठग लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि अगर वे अपनी छत या जमीन पर मोबाइल टावर लगवाते हैं, तो उन्हें हर महीने 30,000 से 50,000 रुपये तक किराया मिलेगा। कई मामलों में 10 से 15 लाख रुपये तक की एकमुश्त रकम देने का झांसा भी दिया जाता है। यह बड़ी रकम लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह एक असली ऑफर हो सकता है।
जैसे कि PMEGP Loan Fraud में देखा गया था, ठग अक्सर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग करते हैं और भोले-भाले लोगों को फर्जी ऑफर्स का लालच देकर उनके पैसे ठग लेते हैं। TRAI Mobile Tower Scam भी इसी तरह की ठगी का एक उदाहरण है, जिसमें लोग बिना जांच-पड़ताल किए बड़ी रकम का लालच खा जाते हैं।
2. सरकारी संस्थानों के नाम का दुरुपयोग
स्कैमर्स TRAI, DoT (Department of Telecommunications), और टेलीकॉम कंपनियों के नकली लेटरहेड का उपयोग कर ऑफिशियल दिखने वाले दस्तावेज बनाते हैं। लोगों को जब सरकारी मुहर लगे कागजात दिखाए जाते हैं, तो वे संदेह नहीं करते और धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं।
जालसाजों द्वारा नकली दस्तावेजों का उपयोग करना कोई नई बात नहीं है। हाल ही में, Black Ink Banned on Cheques को लेकर भी कई फर्जी खबरें फैलाई गई थीं, जिसमें लोगों को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया गया था। इसी तरह, TRAI Mobile Tower Scam में भी ठग सरकारी मुहर और नकली कागजात का उपयोग कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
3. इंटरनेट पर फर्जी Website और विज्ञापन
सोशल मीडिया और Google Ads पर नकली वेबसाइट और विज्ञापन चलाए जाते हैं, जो असली टेलीकॉम कंपनियों की वेबसाइट की तरह दिखते हैं। लोगों को इन फर्जी वेबसाइटों पर जाकर अपना नाम, मोबाइल नंबर और बैंक डिटेल दर्ज करने के लिए कहा जाता है, जिससे उनका डेटा चोरी हो जाता है।
4. साइबर सुरक्षा और जागरूकता की कमी
गांवों और छोटे शहरों में साइबर अपराध के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है। लोग बिना जांच-पड़ताल किए इन ऑफर्स को असली मान लेते हैं और जल्दी से पैसे भेज देते हैं। इसके अलावा, अधिकांश लोग PIB Fact Check जैसी सरकारी जागरूकता पहल के बारे में नहीं जानते, जिससे वे इन फर्जीवाड़ों को पहचानने में असमर्थ रहते हैं।
5. जल्दी निर्णय लेना और संकोच न करना
स्कैमर्स अक्सर कहते हैं कि यह ऑफर सीमित समय के लिए है और जल्दी निर्णय लेने पर ही फायदा मिलेगा। लोग बिना ज्यादा सोचे-समझे पैसा ट्रांसफर कर देते हैं और बाद में उन्हें ठगे जाने का एहसास होता है।
ऐसे स्कैम से बचने के तरीके
TRAI Mobile Tower Scam से बचने के लिए जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और किसी भी अनजान ऑफर पर तुरंत भरोसा न करें। यहां कुछ आसान उपाय दिए गए हैं, जो आपको और आपके परिवार को इस तरह की धोखाधड़ी से बचा सकते हैं।
1. TRAI और टेलीकॉम कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट चेक करें
अगर आपको किसी भी टेलीकॉम टावर इंस्टॉलेशन का ऑफर मिलता है, तो सबसे पहले संबंधित टेलीकॉम कंपनी या TRAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर उसकी पुष्टि करें।
- TRAI की आधिकारिक वेबसाइट: www.trai.gov.in
- PIB Fact Check: www.pib.gov.in
- DOT की वेबसाइट: www.dot.gov.in
2. किसी भी सिक्योरिटी डिपॉजिट का भुगतान न करें
कोई भी टेलीकॉम कंपनी मोबाइल टावर लगाने के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं मांगती। अगर कोई व्यक्ति या एजेंसी आपसे पैसे मांग रही है, तो यह निश्चित रूप से एक स्कैम है।
3. अज्ञात कॉल, SMS और ईमेल पर भरोसा न करें
अगर कोई व्यक्ति आपको कॉल करके कहता है कि आपको मोबाइल टावर लगाने के बदले लाखों रुपये मिलेंगे, तो बिना जांचे-परखे किसी भी प्रकार की जानकारी साझा न करें।
4. PIB Fact Check से जानकारी लें
PIB Fact Check टीम समय-समय पर ऐसे फर्जीवाड़ों के बारे में जानकारी देती है। अगर आपको कोई संदिग्ध सूचना मिलती है, तो आप उसे PIB Fact Check की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भेज सकते हैं और वे आपको सही जानकारी देंगे।
5. साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत करें
अगर आपको कोई फर्जी कॉल, SMS या ईमेल मिलता है, तो इसकी रिपोर्ट तुरंत साइबर क्राइम सेल या स्थानीय पुलिस स्टेशन में करें।
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर: 1930
- राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल: Cybercrime
निष्कर्ष
TRAI Mobile Tower Scam एक सुनियोजित ठगी का तरीका है, जिसमें साइबर अपराधी आम लोगों को मोबाइल टावर लगाने के नाम पर लाखों रुपये के फर्जी वादे करके धोखा देते हैं। PIB Fact Check और TRAI की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि TRAI किसी भी व्यक्ति को मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई पत्र या अनुमति जारी नहीं करता, न ही किसी प्रकार की सिक्योरिटी डिपॉजिट की मांग करता है।
इस लेख में हमने देखा कि यह स्कैम कैसे काम करता है, लोग इसका शिकार क्यों बनते हैं और इससे बचने के लिए किन सावधानियों को अपनाना चाहिए। अब सवाल यह है कि क्या इस तरह के फ्रॉड को पूरी तरह से रोका जा सकता है? जवाब है – हां, लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति को डिजिटल जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।