भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ किसानों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। खेती में आधुनिक उपकरणों की जरूरत बढ़ती जा रही है, और ट्रैक्टर जैसे कृषि यंत्र किसानों के लिए बहुत मददगार साबित होते हैं। इसी जरूरत को देखते हुए कई सरकारी योजनाएँ चलाई जाती हैं, जिनका उद्देश्य किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। लेकिन इसी बीच कुछ जालसाजों ने “प्रधानमंत्री किसान ट्रैक्टर योजना” नाम से फर्जी स्कीम चलाकर भोले-भाले किसानों को ठगने की कोशिश की है।
हाल ही में कई किसानों ने शिकायत की है कि उन्हें ट्रैक्टर पर 50% तक सब्सिडी देने के नाम पर ठगा गया। ये नकली वेबसाइटें किसानों से आवेदन शुल्क, टैक्स और अन्य शुल्क के नाम पर पैसे वसूलती हैं, लेकिन अंत में उन्हें कुछ नहीं मिलता।
सरकार ने इस स्कैम को लेकर PIB Fact Check के माध्यम से साफ किया है कि ऐसी कोई योजना मौजूद नहीं है। किसानों को सावधान रहने और सिर्फ आधिकारिक सरकारी योजनाओं पर भरोसा करने की सलाह दी गई है।
किसान ट्रैक्टर योजना की सच्चाई
क्या सच में सरकार किसानों को ट्रैक्टर पर सब्सिडी देती है?
हाँ, लेकिन “प्रधानमंत्री किसान ट्रैक्टर योजना” नाम की कोई योजना नहीं है। सरकार कृषि उपकरणों पर सब्सिडी देने के लिए Sub-Mission on Agricultural Mechanization (SMAM) योजना चलाती है। इस योजना के तहत किसानों को 20% से 50% तक की सब्सिडी दी जाती है, लेकिन यह राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित होती है।
SMAM योजना के तहत मिलने वाले लाभ
- छोटे और सीमांत किसानों को 50% तक की सब्सिडी।
- अन्य किसानों के लिए 20-30% तक की सब्सिडी।
- ट्रैक्टर, पावर टिलर और अन्य कृषि उपकरणों पर अनुदान।
SMAM योजना के लिए आवेदन कैसे करें?
- राज्य सरकार की आधिकारिक कृषि वेबसाइट पर जाएं।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें (आधार कार्ड, किसान पंजीकरण नंबर, बैंक खाता विवरण)।
- सत्यापन प्रक्रिया पूरी करें और स्वीकृति प्राप्त करें।
- संबंधित कृषि विभाग द्वारा सहायता प्राप्त करें।
Official Website: https://agrimachinery.nic.in
किन राज्यों में SMAM योजना लागू है?
यह योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है, लेकिन सब्सिडी की राशि और पात्रता शर्तें राज्य सरकारों पर निर्भर करती हैं। किसान अपने राज्य की कृषि विभाग की वेबसाइट पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों को ठगने वाली नकली योजनाएँ
सरकार द्वारा दी जाने वाली SMAM योजना का फायदा उठाने के लिए जागरूकता जरूरी है, लेकिन जालसाज इसी जानकारी की कमी का फायदा उठाकर भोले-भाले किसानों को ठग रहे हैं। हाल ही में कम से कम 5 नकली वेबसाइटें सामने आई हैं, जो किसानों को ट्रैक्टर पर 50% तक की सब्सिडी देने का झांसा देकर पैसे ठग रही हैं।
कैसे चल रहा है ये घोटाला?
- फर्जी वेबसाइटें बनाना – ये जालसाज असली सरकारी वेबसाइट जैसी नकली वेबसाइटें बनाते हैं।
- गूगल विज्ञापनों का इस्तेमाल – ये फर्जी वेबसाइटें गूगल पर पैसे देकर विज्ञापन चलाती हैं, ताकि किसान इन्हें असली समझें।
- शुरुआती आवेदन शुल्क – सबसे पहले किसानों से ₹4,250 का आवेदन शुल्क लिया जाता है।
- अतिरिक्त शुल्क की मांग – एक बार भुगतान करने के बाद, और पैसों की मांग की जाती है:
- ₹20,000 “स्टेट टैक्स”
- ₹28,500 “सब्सिडी इंश्योरेंस चार्ज”
- ₹77,800 “सिक्योरिटी अमाउंट एडवांस”
- कोई रसीद या पुष्टि नहीं – भुगतान के बाद न कोई पक्की रसीद मिलती है, न ही कोई सरकारी पुष्टि।
- फर्जी पते और पहचान – इन वेबसाइटों पर दिए गए पते आमतौर पर नकली होते हैं।
कई किसानों को इसी तरह ठगा गया है, जैसे पहले PAN कार्ड स्कैम में लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराकर बैंक खातों से पैसे निकाले गए थे।
नकली वेबसाइटों की पहचान कैसे करें?
फर्जी वेबसाइटें असली सरकारी योजनाओं की नकल करने की कोशिश करती हैं, लेकिन कुछ संकेतों से इन्हें पहचाना जा सकता है।
फर्जी वेबसाइटों की पहचान के 5 आसान तरीके:
1. वेबसाइट के नाम में गलत स्पेलिंग होती है
सरकारी वेबसाइटें हमेशा gov.in या nic.in डोमेन पर पाई जाती हैं, जबकि फर्जी वेबसाइटों के नाम अजीब होते हैं, जैसे:
kisantractorsyojana[.online] (नकली)
agrimachinery.nic.in (असली)
2. संदिग्ध भुगतान प्रक्रिया
- असली सरकारी योजनाओं में कोई एडवांस भुगतान नहीं मांगा जाता।
- अगर कोई साइट पहले आवेदन शुल्क और फिर अन्य चार्जेज मांग रही है, तो यह फर्जी हो सकती है।
3. वेबसाइट पर सरकारी संपर्क जानकारी नहीं होती
- सरकारी योजनाओं की वेबसाइट पर संबंधित मंत्रालय का पता और हेल्पलाइन नंबर होता है।
- फर्जी वेबसाइटों पर कोई ठोस संपर्क जानकारी नहीं होती।
4. लालच और असामान्य वादे
- अगर कोई वेबसाइट 50% या उससे ज्यादा की सब्सिडी देने का दावा कर रही है, तो सावधान रहें।
- असली सरकारी योजनाओं में सब्सिडी 20-50% तक होती है, लेकिन यह किसान की श्रेणी पर निर्भर करती है।
इसी तरह, PMEGP लोन फ्रॉड में भी लोगों से लोन दिलाने के नाम पर बड़ी रकम वसूली गई थी, लेकिन असल में उन्हें कोई फायदा नहीं मिला।
5. आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें
- किसी भी ट्रैक्टर सब्सिडी योजना की पुष्टि करने के लिए सरकार की अधिकारिक कृषि वेबसाइट agrimachinery.nic.in पर जाएं।
- PIB Fact Check और सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों को देखें।
सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों का कदम
नकली ट्रैक्टर सब्सिडी योजनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारत सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने कड़ा रुख अपनाया है। फर्जी वेबसाइटों को बंद करने और धोखाधड़ी में शामिल लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कई उपाय किए गए हैं।
सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
PIB Fact Check द्वारा चेतावनी जारी
- भारत सरकार की प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) फैक्ट चेक टीम ने स्पष्ट किया कि “प्रधानमंत्री किसान ट्रैक्टर योजना” नाम से कोई सरकारी योजना नहीं है।
- किसानों को केवल आधिकारिक सरकारी पोर्टल से जानकारी लेने की सलाह दी गई।
PIB Fact Check ट्वीट:
🚨 Beware!
A website falsely claims to offer tractor subsidies under ‘𝑲𝒊𝒔𝒂𝒏 𝑻𝒓𝒂𝒄𝒕𝒐𝒓 𝒀𝒐𝒋𝒂𝒏𝒂’.#PIBFactCheck
❌This website is #FAKE and is not an official website of the Department of Agriculture & Farmers Welfare
⚠️@AgriGoI is not running any such ‘Kisan… pic.twitter.com/Eb3eH7BZk2
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 5, 2025
साइबर क्राइम एजेंसियों की कार्रवाई
- फर्जी वेबसाइटों को ट्रैक करने और ब्लॉक करने के लिए साइबर क्राइम सेल को निर्देश दिया गया।
- कई वेबसाइटों को बंद कर दिया गया, लेकिन जालसाज नए डोमेन बनाकर दोबारा ठगी करने लगते हैं।
कृषि मंत्रालय की चेतावनी
- SMAM योजना के तहत सब्सिडी का लाभ केवल आधिकारिक सरकारी पोर्टल के माध्यम से ही लिया जा सकता है।
- किसानों को असली सरकारी वेबसाइट (agrimachinery.nic.in) पर जाकर ही आवेदन करने की सलाह दी गई।
फर्जी विज्ञापनों पर नकेल
- Google Ads और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलने वाले फर्जी विज्ञापनों की निगरानी की जा रही है।
- कई फर्जी फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप हटाए गए हैं।
किसानों को सुरक्षित रहने के लिए सुझाव
किसानों को अपने पैसे और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहना जरूरी है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जो उन्हें ठगी से बचा सकते हैं।
केवल सरकारी वेबसाइटों से जानकारी लें
- SMAM योजना के लिए आधिकारिक पोर्टल: agrimachinery.nic.in
- राज्य कृषि विभाग की वेबसाइट पर योजना की जानकारी देखें।
किसी भी निजी व्यक्ति या वेबसाइट को पैसे न दें
- कोई भी असली सरकारी योजना अग्रिम भुगतान नहीं मांगती।
- अगर कोई साइट एडवांस चार्ज, आवेदन शुल्क या सिक्योरिटी अमाउंट मांग रही है, तो यह धोखाधड़ी हो सकती है।
सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर सावधान रहें
- व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब पर फैलाए जाने वाले संदेशों को क्रॉस-चेक करें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और संदेह होने पर PIB Fact Check को रिपोर्ट करें।
फर्जी वेबसाइट दिखने पर कहाँ शिकायत करें?
अगर आपको कोई नकली वेबसाइट दिखे, तो तुरंत शिकायत दर्ज करें:
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन: 1930
- साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल: https://cybercrime.gov.in
- PIB Fact Check ट्विटर हैंडल: https://x.com/PIBFactCheck
निष्कर्ष
भारत के किसान अपनी मेहनत और लगन से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं, लेकिन हाल ही में फर्जी “प्रधानमंत्री किसान ट्रैक्टर योजना” जैसी स्कीमों के नाम पर उन्हें ठगा जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, और ट्रैक्टर पर सब्सिडी केवल SMAM (Sub-Mission on Agricultural Mechanization) योजना के तहत दी जाती है।
अगर आप किसान हैं या किसी किसान को जानते हैं, तो फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहें और केवल सरकारी पोर्टल agrimachinery.nic.in से ही जानकारी प्राप्त करें। किसी भी निजी व्यक्ति, वेबसाइट या व्हाट्सएप ग्रुप द्वारा पैसे मांगे जाने पर सतर्क रहें और तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या https://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट विज़िट करें!